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राजयोग वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक प्रक्रिया
इंदौर. राजयोग वस्तुत: भारत की प्राचीनतम योगविद्या है. इसका सबसे गहरा वैज्ञानिक पक्ष यह है कि यह मानव के अचेतन मन को सकारात्मकता के लिए प्रशिक्षित करता है. यह जीवन को सम्यक और सुस्वास्थय जीवन शैली की ओर उन्मुख करता है.
उक्त विचार ख्यात, कुशल एवं अनुभवी मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य काउंसलर डॉ. दिलीप नलगे ने ओम शांति भवन ज्ञान शिखर में चल रहे पांच दिवसीय शिविर स्वास्थ्य, समृद्धि एवं खुशी में व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि राजयोग का निरंतर अभ्यास हमारे विचारों को सकारात्मक बनाता है. सकारात्मक मन सशक्त होता है और सशक्त मन दुनिया का हर असंभव कार्य सहज संभव कर लेता है. मन में दबे हुए कई बोझ जो मन को भारी करते रहते हैं. इसके लिए उन्होंने मन की ग्रंथिया खोलने हेतु सभी शिविरार्थी से पन्नों पर अपने मन के ऐसे भाव लिखने को कहां जो आपको भारी कर रहे हैं. सभी ने अपनी नकारात्मक भावनाओं को कागज पर लिखकर हवन कुंड में स्वाहा किया और नव जीवन का उत्सव मनाया. इस अवसर पर मुख्य क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहां कि राजयोग और सकारात्मक जीवन शैली अपनाकर हम कई रोगो से अपने को बचा सकते हैं. इसी तारतम्य में कल से यानि 19 मई से प्रात: 7 से 8 एवं शाम 7.30 से 8.30 तक सात दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है.